Sunday, June 28, 2015

मेरा उन्नाव

अपने जनपद की पहचान पर चार पंक्ति.....

जहां की सरजमी को सिर झुकाते मुल्क के ज्ञानी |
जहां की शख्शियत का है नहीं कोई फकत सानी |
शहीदों की चिताओं पर भी मेले जोड़ने वाला..
निराला और सुमन..आजाद है, उन्नाव का पानी |
                   (अनुपम आलोक )

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