Wednesday, July 1, 2015

मुक्तक मंथन 55 चित्र मुक्तक

नाव की तर्ज पर चल रही जिंदगी |
चांद की तर्ज पर ढ़ल रही जिंदगी |
हो जो ' मांझी अगर साथ विश्वास का,
बीच खुशियों के ' फिर पल रही जिंदगी |
                            (अनुपम आलोक )

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