Wednesday, July 1, 2015

मुक्तक मंच पदांत पर आधारित ..... समारोह -- 73

पदांत... नहीं आते
मेरी खुशियों को अब वह, नेह से ढ़कने नहीं आते |
मेरे जख्मों को सहलाने,,,,,,, मेरे अपने नहीं आते |
सजा तन्हाई की देकर,,, गया... मुसिंफ मेरा जबसे,
मेरी आँखों में अब,,,,,महबूब के.. सपने नहीं आते |
                                  { अनुपम आलोक }

No comments:

Post a Comment